इस तस्वीर को क्या नाम दें ....?
मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने ग्रामीणों ने कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन
बाढ़ में स्कूल जाती छात्राएं
सरकारी साइकिल वापस करने कलेक्टर के दरबार पहुँची
बैतूल -(वामन पोटे) यह तस्वीर मध्यप्रदेश के बैतूल जिले के आदिवासी भीमपूर ब्लाक से आई है ।इस देश का यही दुर्भाग्य है कि कस्बाई बस्तियों की सिसकियाँ सन्नाटौ में कैद होकर रह जातीं है। हमारा सिस्टम 21 वी शताब्दी की इस चकाचौंध में भी आज भी कोसों दूर है ....
सवाल यह नहीं है की आदिवासी स्कूली बच्चे जिला कलेक्टर के पास सरकारी साइकिल वापस करने आये ।सवाल तो यह है कि बीते 15 सालों में विकासशील मध्यप्रदेश की यह बदरंग तस्वीर भी गांव से शहर तक पहुच गई । सवाल यह है कि आजादी के 72 साल बाद भी आदिवासी गांवो में सड़क का इंतजाम नही हो सका।जिन राजनेताओ को विकास करने के नाम पर वोट दिए और विकास ,सतर्कता और सुरक्षा के लिए जवाबदेही जिस तंत्र को सौंपी गई है वो इतने संवेदनहीन और निष्ठुर क्यों बन रहे...?
इस बदरंग तस्वीर को क्या नाम दें ....?
गांव में सड़क नहीं होने से नाराज विद्यार्थी शासन से मिली साइकल लौटाने पहुंचे कलेक्ट्रेट
आदिवासी विकासखंड भीमपुर के अंतर्गत आने वाले ग्राम गोरकीढाना के विद्यार्थियों ने बुधवार सरपंच एवं अपने परिजनों के साथ कलेक्ट्रेट पहुंचकर ग्राम में सड़क एवं पुलिया निर्माण किए जाने की मांग की है। उक्त समस्याओं पर ध्यान नहीं देने पर ग्रामीणों ने उग्र आंदोलन की भी चेतावनी दी है। विद्यार्थियों का कहना है कि शासन ने स्कूल जाने के लिए उन्हें साइकल तो मुहैया करा दी है, लेकिन साइकिल चलाने के लिए सड़क और ताप्ती नदी और नालों के ऊपर पुलिया का होना भी जरूरी है जो इस ग्राम में वर्षों से नहीं है। इस दौरान कई विद्यार्थी शासन से मिली साइकल भी प्रशासन को लौटाने अपने साथ लाए थे।
गौरतलब है कि जिले के आदिवासी बाहुल्य ब्लॉक गोरकीढाना गांव के स्कूली बच्चों को माध्यमिक और हाईस्कूल की पढ़ाई करने तीन किलोमीटर दूर उती गांव जाना पड़ता है। बारिश के दौरान ये गांव चार महीने टापू बन जाता है। किसी को भी बारिश में गांव से बाहर जाने के लिए रास्ते में पडऩे वाली नदी को पार करने जान जोखिम में डालना पड़ता है। सर्वाधिक परेशानी बच्चों और बीमार लोगों को आती है। ग्रामीणों की प्रशासन से मांग है कि नदी पर पुल और सड़क बनाई जाए ताकि गांव की समस्या हल हो सके। कलेक्टर को सौंपे ज्ञापन में ग्रामीणों ने बताया कि आजादी के 70 वर्ष से अधिक समय बीत गया है। लेकिन अभी भी उनका गांव मुख्य सड़क से जुड़ नहीं पाया है। पक्की सड़क पुलिया न होने की वजह से ग्राम शासन की मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। इसका खामियाजा स्कूली छात्रों को भुगतना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि गांव की एक तरफ ताप्ती नदी पड़ती है दूसरी ओर गुप्तवाड़ा व चांदू नदी का बहाव तेज होने से मार्ग बंद हो जाता है। जिसके चलते ग्रामीणों को साप्ताहिक बाजार एवं बीमार व्यक्ति को अस्पताल पहुंचने में काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ग्रामीणों का कहना है कि गांव को प्रधानमंत्री सड़क योजना के तहत घाना गांव पर ताप्ती नदी पर पुल बनाकर और उत्ती गांव की नदी पर पुल बनाकर ग्रामीण सड़क योजना से जोड़ा जाए जिससे ग्रामीण सीधे जिला मुख्यालय से जुड़ जाएंगे जिससे सभी मूलभूत सुविधाएं अपने आप बहाल होती चली जाएगी। कलेक्टर को सौंपे ज्ञापन में ग्रामीणों ने कहा कि ग्राम की समस्याओं पर प्रशासन का ध्यान आकर्षित नहीं हुआ तो वह उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होंगे। ज्ञापन सौंपने वालों में श्रावण, सोमलाल, हिरासिंग, सुरेश, दिनेश, जंगल, मुन्ना, दिनेश अहाके, सुरजु, चरणसिंग, हिरा, श्रीराम, सुनील, रामकिशोर, रमेश, मुंशी, रामासिंग, साहबलाल, गुन्नू, सोमलाल, बबली, ज्योति, रमिया, अनिता, सुगन्या, फुलवंती, कालु, रामजी, शिवदया धुर्वे, बाबूलाल, फुलंता, देवधर, कमलासिंग, जितेश सहित अन्य ग्रामीण उपस्थित थे।
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