मम्मी से सुनकर करता था पढ़ाई ये IAS ऑफिसर, बिना आंखों की रोशनी के पास की UPSC परीक्षा
अगर शरीर में कहीं जरा सी खरोंच भी आ जाए तो हम परेशान हो उठते हैं लेकिन जरा उन लोगों के बारे में सोचिए जो न जाने किन-किन गंभीर बीमारी या डिसेबिलेटी के साथ जीते हैं. इसके बाद भी हार नहीं मानते. आगे बढ़ते हैं और मुकाम बनाते हैं. ऐसे ही एक शख्स का नाम है अंकुरजीत सिंह. अंकुर देख नहीं सकते. वे जब स्कूल में थे तब उनकी आंखों की रोशनी बचपन में धीरे-धीरे खोने लगी थी और आखिरकार एक वक्त ऐसा आ गया कि उन्हें दिखना बंद हो गया. इन हालातों में भी उन्होंने धैर्य नहीं खोया. वे परिस्थतियों से लड़ते रहे. डटे रहे. इसका नतीजा है कि आज उन्होंने देश की सबसे प्रतिष्ठित और मुश्किल परीक्षा सिविल सर्विस की परीक्षा पास कर ली. जी हां अंकुर ने साल 2017 में UPSC की परीक्षा में 414 रैंक हासिल की है. कितना मुश्किल था अंकुर का ये सफर आइए जानते हैं…
हरियाणा के यमुनानगर से ताल्लुक रखने वाले अंकुरजीत बचपन से ही पढ़ाई में काफी मेधावी थे, लेकिन उन्हें धीरे-धीरे कम दिखने लगा था और पढ़ने में दिक्कत होने लगी थी. अंकुरजीत को ब्लैकबोर्ड देखने तक में दिक्कत आने लगी थी. इस दौरान एक दिन खेल-खेल में उन्हें पता चला कि उन्हें देखने में मुश्किल आ रही है, जब पढ़ने के दिन आए तो उनकी आंखों की रोशनी जा चुकी है.
मम्मी से सुनकर करते थे पढ़ाई
अंकुरजीत की मम्मी ने मीडिया रिपोर्ट में बताया कि, जब उन्हें अपने बच्चे की समस्या का पता चला तो जो भी वह स्कूल से पढ़कर आता था तो रात को उसे पढ़कर सुनाती थी. इस तरह से वे सुनकर पढ़ाई करता था.
स्कूल से पहले कोर्स खत्म कर लेते
अंकुर ने दसवीं तक 10वीं तक की पढ़ाई गांव के सरकारी स्कूल से ही हुई है. जब गर्मियों की छुट्टियों में बच्चे खेलते और मस्ती करते थे तब अंकुरजीत मां के मदद से सारी किताबें पहले ही पढ़ लेते थे ताकि जब क्लास में टीचर पढ़ाएं तब वह सुनकर ही सब कुछ समझ लें.
आईआईटी में हुआ सेलेक्शन
अंकुरजीत जब 12वीं में पढ़ते थे तो उनकी टीचर ने कहा कि तुम आईआईटी का फॉर्म क्यों नहीं भर लेते. अंकुरजीत ने फॉर्म भरा और उनका एडमिशन आईआईटी रुढ़की में हो गया था. बकौल अंकुरजीत आईआईटी में कई दोस्त यूपीएससी की तैयारी कर रहे थे. इसलिए उन्होंने भी तैयारी शुरू कर दी.
ऐसे की UPSC एग्जाम की तैयारी
अंकुरजीत के मुताबिक UPSC की तैयारी उन्होंने टेक्नोलॉजी और दोस्तों की मदद से पूरी की. दरअसल आईआईटी ने उन्हें टेक्नॉलॉजी के काफी करीब ला दिया था, जहां कहीं उन्हें पढ़ने-समझने में समस्या होती थी तो वह स्क्रीन रीडर की मदद से किताबें पढ़ने लगे. इसके अलावा भी अगर वे कहीं फंसते थे तो वे दोस्तों से मदद लेते थे.
दूसरे प्रयास में मिली सफलता
आखिरकार अंकुरजीत की मेहनत रंग लाई और साल 2017 में उन्हें UPSC की परीक्षा में सफलता मिल गई. बीटेक की पढ़ाई के दौरान भी अंकुर ने यूपीएससी की परीक्षा दी थी लेकिन तब वे इस परीक्षा को क्रैक नहीं कर पाए थे, लेकिन उन्होंने इस एग्जाम में 414वीं रैंक हासिल कर ली.
साभार न्यूज 18
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