बुरहानपुर- जबसे शिक्षा विभाग में फर्जी भर्ती शिक्षक घोटाला कांड उजागर हुआ है तब से प्रत्येक शिक्षक को संदेह की दृष्टि से देखा जा रहा है वर्ष 2005-06 में हुई शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया से पूरे 10 वर्षों में हुई शिक्षकों की नियुक्तियों पर सवाल उठाए जा रहे हैं। वर्ग 3 में नियुक्त शिक्षकों की बार-बार दस्तावेज परीक्षण प्रक्रिया से गुजरने के पश्चात प्रशासन ने वर्ग 1 और 2 के शिक्षकों के दस्तावेजों के सत्यापन की कार्रवाई के लिए जिला पंचायत में सभी शिक्षकों बुलाया गया है। आखिर इसमें सभी शिक्षकों का दोष क्या? इनमें से कुछ शिक्षक ऐसे भी है जिन्होंने बड़ी मेहनत से सभी शैक्षणिक योग्यता पूर्ण कर शिक्षा विभाग में नौकरी प्राप्त की थी लेकिन कुछेक लोगों के कारण सभी को सत्यापन की प्रक्रिया से गुजरना पड़ रहा है। शिक्षकों की ऐसे में सामाजिक प्रतिष्ठा भी धूमिल हो रही है उन्हें पदस्थ शालाओं के गांव वाले शंका की दृष्टि से देख रहे हैं कि कहीं यह शिक्षक तो फर्जी नहीं।
शैक्षणिक कार्य हुआ प्रभावित
आज देखने में आया कि कुछ शालाएं ऐसी भी है जहां पर 1 या 2 शिक्षक नियुक्त है आज सत्यापन के लिए दोनों शिक्षकों को उपस्थित होना पड़ा तो स्कूलों में ताले पड़े हैं। अब इसमें विद्यार्थियों का क्या दोष? विद्यार्थियों को आज के दिन शिक्षा से वंचित होना पड़ा इसके लिए कौन जिम्मेदार है?
हालांकि स्कूल प्रहरी इस कार्यवाही का विरोध नहीं करता बल्कि इसकी जांच आवश्यक रूप से होना ही चाहिए ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके और जो फर्जी नियुक्तियां हुई है उसकी जांच निष्पक्ष रुप से हो परंतु इसके लिए सभी शिक्षकों को एक साथ बुलाकर इस प्रकार से जांच करना उचित नहीं है क्योंकि इससे उनका मूल कार्य प्रभावित हो रहा है स्कूलों में विद्यार्थी शिक्षकों की राह तक रहे हैं और यहां शिक्षक गण अपनी बारी का इंतजार करते हुए बाहर बैठे हैं।
बैठने की उचित व्यवस्था भी नही
जिला पंचायत सभागृह में अधिक लोगों की बैठने की व्यवस्था नहीं है इसलिए कई शिक्षक बाहर बरामदे में बैठे हुए हैं। कुछेक शिक्षक जिला पंचायत परिसर में बाहर खडे थे क्योंकि इनके बैठने की समुचित व्यवस्था भी नही की गई थी। महिला शिक्षिकाएं भी परेशान नजर आ रही थी ।प्रशासन को इनके बैठने की समुचित व्यवस्था करना चाहिए थी।
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