बुरहानपुर। निमाड़ क्षेत्र की अग्रणी शिक्षण संस्था प्रो. बृजमोहन मिश्रा इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल एण्ड़ टेक्निकल साइंसेस बुरहानपुर में दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का प्रथम दिवस का कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।
संस्था के जनसम्पर्क अधिकारी मिर्जा राहत बेग ने बताया कि महाविद्यालय के आडोटोरियम मेें ''मानसिक स्वास्थ्य संवर्धन और आत्महत्या के रोकथाम के लिए एक साथ काम करना'' विषय पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ हुआ। इस सम्मेलन की शुरूवात संस्था की अध्यक्ष श्रीमती राखी मिश्रा, उपाध्यक्ष श्री अनिल जैन, अतिथी एवं वक्ता श्री नरेन्द्रकुमार शर्मा एवं श्रीमती निधी दधिच ने दिपप्रज्वलन एवं सरस्वती तथा प्रो.बृजमोहन के चित्र पर माल्यार्पण कर किया।
अतिथियों का स्वागत पुष्पगुच्छ से किया। आजकल के भागदौड़ और रस्साकषी के जीवन में बच्चे, बुढे और जवान महिला और पुरूष मानसिक परेशानियों से जुझ रहे है। इस वर्ष, विष्व मानसिक स्वास्थ्य महासंघ (WFMH) ने विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर 'आत्महत्या की रोकथाम कोे मुख्य विषय बनाने का निर्णय लिया है। यद्यपि आत्मघाती व्यवहार पूरे मनुष्य इतिहास में मौजूद रहा है, यह दुनिया के सभी हिस्सों धीरे-धीरे बढा और पिछले कुछ दशकों में खतरनाक आंकड़ो के स्तर पर पहुॅच गया है। सम्मेलन में वक्ताओं ने दो चरणों में अपने विचार रखे। प्रथम चरण में गुजरात के चितरीनी नर्सिंग काॅलेज जुनाबकरपुर से मुख्य वक्ता के रूप में श्री नरेन्द्रकुमार शर्मा ने अपने विचार रखते हुए कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कई वर्षो से आत्महत्या को प्राथमिकता का मुद्दा बनाया, इस बात पर जोर देना महत्वपूर्ण है कि यह एक ऐसा विषय है जिसने सदियों से अध्ययन के अधिकांश क्षेे़त्रों को आकर्षित किया है। दर्शन शास्त्र, धर्म, चिकित्सा, समाज शास्त्र, जैवविज्ञान, कानून और मनोेविज्ञान द्वारा इसका पता लगाया गया है।
डब्लूएचओ के अनुसार, आत्महत्या के कारण एक वर्ष में 8,00,000 से अधिक लोगों की मृत्यु हो जाती है, जिससे यह पन्द्रह सेे उन्तीस साल की उम्र के लोगों का भी मृत्यु का प्रमुख कारण बन जाता है । अक्सर यह माना जाता है कि केवल वयस्क ही आत्मघाती व्यवहार प्रदर्षित करते है। लेकिन इस बात पर भी जोर देना चाहिए कि बहुत से बच्चे और युवा इस तरह के व्यवहार को हिंसा, यौन शोषण, धमकाने और साइबर हमले के परिणामस्वरुप करतेे है। द्वितीय चरण में चितरीनी नर्सिंग काॅलेज जुनाबकरपुर से वक्ता के रूप में श्रीमती निधी दधिच ने अपने संभाषण में कहां कि आत्महत्या एक वैष्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है जो वैज्ञानिक और पेषेवर संगठनों, मानसिक स्वास्थ्य उपयोगकर्ताओं और उनके परिवारों और विश्वविद्यालयों सहित मानसिक स्वास्थ्य केे क्षेत्र में सभी के ध्यान योग्य है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य अधिकारियों का ध्यान आकर्षित करना विशेष रुप से महत्वपूर्ण है क्योंकि आत्महत्या को रोकनेे और जनता के मानसिक स्वास्थ्य को बढावा देने के लिए रणनीति स्थापित करने के उद्देष्य से सुझाव और निर्देशों कोे तैयार करना उनकी जिम्मेदारी है।
संस्था अध्यक्ष श्रीमती राखी मिश्रा ने अपने वक्तत्य में कहां कि मनुष्य जीवन बहुत जटीलता वाला है। वर्तमान में मानसिक स्वास्थ्य पर प्रिन्ट और दृष्य श्रव्य माध्यम और सोषल मीडिया दोनों की भूमिका कम महत्वपूर्ण नहीं है, क्योंकि उनकी भागीदारी सकारात्मक होने के साथ-साथ नकारात्मक प्रभाव भी डाल सकती है, क्योंकि यह इस बात पर निर्भर करता है कि वे इस विषय पर कैसेे ध्यान देते हैं। ऐसे कई जटिल कारक है। जो एक आत्महत्या में योगदान देते हैं, लेेकिन यह सबसे महत्वपूर्ण है कि हमारे प्रयासों को रोकथाम की ओर बढ़ाया जा सके । दो चरणों में सम्पन्न हुए इस सम्मेलन के मध्य नर्सिंग के विद्यार्थियों द्वारा खुबसुरत रोल प्ले का आयोजन किया गया। जिसमें मानसिक स्वास्थ्य संबंधी महत्वपूर्ण जानकारी दी गई। सम्मेलन के प्रथम दिवस 400 अधिक विद्यार्थी एवं स्टाॅफ ने अपना रजिस्ट्रेशन करवाया।
इस राष्ट्रीय सम्मेलन के दूसरे दिन बुरहानपुर जिले के एडीएसपी श्री महेेंद्र तारनेकर एवं श्रीमती सोमा दत्ता अपने विचार रखेगें। साथ ही तात्कालीक वक्ता भी अपने विचार रख सकेंगें। प्रथम दिवसीय सम्मेलन की सफलता पर संस्था अध्यक्ष श्रीमती राखी मिश्रा, उपाध्यक्ष श्री अनिल जैन, सचिव श्री अमित मिश्रा, प्रशासनिक अधिकारी विशाल गोजरे, संस्था के प्राचार्य सैय्यद आसीफ अली, डाॅ.जैनुद्दीन अली, नर्सिंग के प्रभारी प्राचार्य शैलेन्द्र उपाध्याय, प्रिन्यू थाॅमस, अर्जुन वर्मा, अष्विनी चैधरी, मयुर पाटील एवं समस्त स्टाॅफ ने शुभकामनायें प्रेषित की।
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