बुरहानपुर- संविदा शाला शिक्षको की भर्ती में फर्जी वाडा सामने आने के बाद 67 शिक्षको को बर्खास्त किया जा चुका है, इसी प्रकार 2006-2007 में भी 150 शिक्षको की भर्ती में 250 शिक्षको की नियुक्ति सामने आई है, इस को लेकर जिला शिक्षा केन्द्र के द्वारा शेष बचे शिक्षको के दस्तावेजो की जांच के लिए सभी शिक्षको को मंगलवार को जिला पंचायत कार्यालय बुलाया गया है जहां परियोजना अधिकारी विजय पचोरी द्वारा शिक्षको के दस्तावेजो की जांच कर सत्यापन के लिए सम्बंधित बोर्ड और युनिर्वसिटी को मूल दस्तावेज भेजे जाऐगे। जांच से एक दिन पूर्व जांच अधिकारी ने नियुक्ति से सम्बंधित सभी रिकार्ड लोक शिक्षा केन्द्र से प्राप्त कर लिए थे जिस से मिलान करेगे। जिले भर के शिक्षको को एक साथ जांच के लिए बुलाने से स्कूलो में अध्ययन कार्य प्रभावित हुआ है, संविदा शिक्षको की भर्ती में फर्जीवाडे का भांडा फोड लगभग एक वर्ष पूर्व तत्कालीन जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी एंव अपर कलेक्टर शैलेन्द्र सिंह के द्वारा किया गया था जिस के बाद 67 शिक्षको की सेवाऐं समाप्त कर उन पर अपराधिक मामले दर्ज करने के साथ ही विभाग के शिक्षा माफियाओं पर भी कार्यवाही की गई थी इस पूरे मामले के प्रकाश में आने के बाद मामला पुलिस को सौंपा गया था और एसआईटी इस मामले में वर्तमान में भी कार्यवाही में लगी है, इस से जुडे मुख्य आरोपी एंव स्थापना शाखा प्रभारी ज्योति खत्री को पकड सलाखों के पिछे भेजा गया है, वहीं एक और मुख्य आरोपी भरत शाह की एसआईटी को तलाश है, मंगलवार को शेष शिक्षको के नियुक्ति आदेश और जरूरी दस्तावेजो की जांच का कार्य जांच अधिकारी विजय पचोरी एंव उनके दल के द्वारा किया गया है, इस जांच में भी कुछ मामले सामने आने की उम्मीद की जा रही है, क्युं कि अभी स्वीकृत पदों से अधिक पदों पर वेतन अहारण हो रहा है, शिक्षक भर्ती घाटाले मामले में जहां विभाग के सरगना ज्योति खत्री जेल में है वहीं पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी आरएल उपाध्याय भी एसआईटी के राडार पर है, उन्हें भी नोटिस भेजा गया है वहीं अन्य अधिकारीयों से भी पूछताछ संभावित है जो 2006 और 2007 के बाद विभाग में पदस्थ होकर अब ट्रान्सफर हो चुके है, इसी मामले से जुडे जनपद सीईओ अनिल पवार की गिरफतारी पहले ही हो चुक है जो जमानत पर है तथा जनपद के अन्य सीईओ की भी भूमिका संदिगध हो सकती है, ऐसे में उन्हें भी एसआईटी पूछताछ के लिए तलब कर सकती है, इस पूरे मामले पर जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी रोहन सक्सेना से बताया कि चूकि 2008-2009 में शिक्षको की भर्ती मामले में फर्जी वाडा साामने आ चुका है इस को ध्यान में रखते हुए अन्य सत्रो में शिक्षको की भर्ती हुए शिक्षको के दस्तावेजो की जांच की जा रही है, इस के बाद नगर निगम और जनपद पंचायत खकनार के अन्तर्गत की गई शिक्षको की भर्ती प्रक्रीया और शिक्षको के दस्तावेजो की जांच भी की जाऐगी। अब देखना होगा इस जांच में क्या मामले सामने आते है? फर्जी संविदा से घोटाले के कारण कई अध्यापकों के संविलियन भी नहीं हो पाए हैं। अब जब तक जांच पूर्ण नहीं हो जाती तब तक शायद अध्यापकों की संविलियन प्रक्रिया अधर में ही रहेगी।
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